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यही पे डारूं डेरे

यही पे डारूं डेरे **************** मैं विन्ध्य क्षेत्र का वासी हूँ, ब्रज नगरी भी आता हूँ तेरे। देख के तेरे ठाट- बाट को जी करता यही पे डारूं डेरे। कुंठाओं के चक्कर में भटकन से अच्छा होता है। तेरे चरणों की लगा के तकिया जो प्रेम भाव से सोता है।। दे दे अब हमें शरण वो प्यारा हो जावे मेरे वारे न्यारे। देख के तेरे ठाट- बाट को जी करता यही पे डारूं डेरे।। तेरी श्याम वरण की वो पीत झगुलिया भाती है। अंबर मे बिजली की चिग्गार दिखाई देती है। खुद मे मुझे पिछा ले प्यारे हो जाए हम तेरे- मेरे। देख के तेरे ठाट- बाट को जी करता यही पे डारूं डेरे। कभी कभी लिख जाता हूँ तेरा ही वियोग श्रृंगार मे। कभी कभी कह जाता हूँ विसद प्रेम अनुराग मे। नाथ के नाथ नाथ हो प्यारे हम तो केवल है एक चेरे। देख के तेरे ठाट- बाट को जी करता यही पे डारूं डेरे।। भक्ती के बदले कुछ नहीं देना नहीं तो रोजगारी हो जाऊँगा। भक्ती करके मुक्ती लेली तो एक व्यापारी कहलाऊगा। मैं विन्ध्य क्षेत्र का वासी हूँ, ब्रज नगरी भी आता हूँ तेरे। देख के तेरे ठाट- बाट को जी करता यही पे डारूं डेरे। writerlokesh.blogspot.

क्रंदन

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चोटों में दर्द प्रणय का है, पर जख्म अभी भी भारी है। ओठों में आश मिलन की है, पलको मे क्रंदन जारी है।। चित्राक्ष कहा यूं जाती हो, छोड़ के मेरी बस्ती को। चित्रांग कही हर न ले ये, तेरी इस भूली हस्ती को।। यादों में तेरे ठिठक उठा था, पर आज अश्रु की धारी है। ओठों में आश मिलन की है, पलको मे क्रंदन जारी है।। दाही का रूप क्यूं धरे प्रिये, ऊपर से अश्क बहार किया। जैसे खुद के बगिया में, माली ही जघन्य प्रहार किया।। चाहत है मेरी दीर्घकाल तक, तुम पर कतरा कतरा वारी है। ओठों में आश मिलन की है, पलको मे क्रंदन जारी है।। जाओ पर यादें ले जाओ, आँखों में कम सूजन हो। खुद की दुआ खुदा से है, चिरआयु तुम्हारा जीवन हो।। फिर ये विछल उठा है मन, कि यार तु कितनी प्यारी है। यादों मे कुछ तो है लिखना, ये अपनी ही जिम्मेदारी है। ओठों में आश मिलन की है, पलको मे क्रंदन जारी है।।

मयकश मे जाना

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पलकों मे कैद चांदनी तेरे ओठों मे सुर्ख रवानी है। बिन तेरे मयकश मे जाना ये बेकार जवानी है।।               बिन तेरे मयकश मे..... साथ बैठ के पीते है लहजो पर तेरे जीते है एक एक लहजे नशे मे तेरे प्यार की एक रवानी है।।                बिन तेरे मयकश मे..... मधुरस मे डूबे हाथ तेरे आ चल दे थोड़ा साथ मेरे पता है तुझको मधुशाला मे तु गढ़ती नई कहानी है।।               बिन तेरे मयकश मे..... मधुरस का मैं मधुकर हूँ तेरे तप का भी वर हूँ दे दे अपने हाथ से थोड़ा जिसकी दुनिया दिवानी है।।               बिन तेरे मयकश मे..... मधुर मधुर मीठे बोलो मे तीखें रस जल के घोलो मे आ मिल कर अब पी जाते फिर रचते नई कहानी है।।               बिन तेरे मयकश मे.....