मुख्य उद्देश्य मंहगाई का
💥'मुख्य उद्देश्य मंहगाई का'💥
(विधा:- व्यंग्य) *लेखक:-प्रिन्शु लोकेश*
पहली बात तो सरकार ने देश को सनातनी देश बनाने हेतु प्याज़ का दाम बढाया और साथ ही राष्ट्र में उद्योगपतियों के कारखानों से कहीं ज्यादा मोटर- वाहनों से पर्यावरण दूषित हो रहा है, अत: पेट्रोल और डीजल के दामो में बढोतरी करके स्वच्छ भारत कि पहल चालू की है।
जहां तक बात रही विकास की तो विकास हुआ कहाँ नहीं , आइए ये देखिए झरने और तलाबों को दर्शनिक स्थल बना कर और उसी के जैसे शुध्द पानी को बाॅटल मे कैद कर देश कि अर्थव्यवस्था भी सुधरी जा रही है और झरने जैसा पानी घर में भी उपलब्ध!
खैर छोड़ो चलो मंहगाई कि वजह देखे।
सुना है बैगन, सेमी, मसूर, मूंग ये सब मंहगे हो गए। हमारे हिसाब से तो इसमें पक्का चिकित्सा मंत्री जी का हाथ है क्योंकि बैगन, सेमी, मसूर, मूंग ये सब बातिल होते है और मंत्री जी का मिशन है हमारे देश में कोई व्यक्ति रोग से न मरे भूख से भले मर जाए। वाह! मंत्री जी अब आप जरूर अपने मिशम से सफलता हासिल करेगा। मंत्री जी किसी डाक्टर से सुना कि डाक्टर किसी रोगी से कह रहा है कि तुम केवल अब फल खाना और ये सुन कर तो मंत्री ने शहर में फलो के भी दाम बढा दिये। अब जब कोई फल ही नहीं ले पाएंगा तो खाएगा कैसे और रोगी कैसे।
इस तरह चल रहा रोग मुक्त अभियान।
खाने कि बात से एक किसान जरूर परेशान है क्योंकि फल मंहगे है और उसे सिर्फ रोगी खाते है और यहां पेट की आग जरूर सस्ती है। किन्तु घर में पडे़ कच्चे अनाज को पकाने के लिए आग मंहगी हो गई गैस -सिलेंडर 900 पार है और जंगल में लकड़ी काटता हूँ तो वन विभाग वाला जेल मे फेक देगा जहां पेट की तो आग बुझ जाती है किन्तु सीने में धधकने लगती है। हाय! मंहगाई , हाय सियासी खेल! और इतना कह कर किसान भूखा लेट कर राम राम जपने लगता है।
ना जाने यह सरकार इस राम के देश को ऐसे कितने निराहारी संत देने में लगी है। सच है इसी तरह होता रहा तो हमारा देश जरूर एक दिन दोबार नये ढंग से विश्वगुरु बन जाएगा। वैसे भी जिस कि जेलों तक की यात्राएँ संतों ने कि हो उसे विश्वगुरु से रोक भी कौन सकता है।
यात्रा से याद आया कि परिवाहन विभाग के मंत्री भी अपना बराबर योगदान दे रहे है उन्होने यात्रियों के किराये में बढोतरी कर करके यह संकेत कर रहे है कि दसों इंद्रियों को काबू में करें और यात्रा में ज्यादा चल कर अपने मन को विचलित न करें इसीलिए मंत्री जी ने किराया बढा कर उन्हें एक स्थान में रहने कि आदत डलवा रहे है।
संचार मंत्री ने तो कमाल ही कर दिया उन्होंने तो माया से लिप्त जनता का मोह भंग करने हेतु एक नई पहल चलाई; जिसमें दूरसंचार का खर्चा ही बढा दिया गया ताकि जनता सहजता से किसी दूर दराज के रिश्तेदारी के प्रति मोह जाहिर न कर सके। व्यक्ति से संपर्क न साध पाने के कारण उसे धीरे- धीरे भूल ही जाएगे।
और शिक्षा मंत्री साहब ने हो जनता के मुक्ती का भी इंतजाम कर लिए है। उन्होंने किसी सत्संग में सुन लिया कि भगवान ज्ञान नहीं भाव के भूखे है और भावुक व्यक्ति को ही मिलते है अत: उन्होने देश में शिक्षा इतनी मंहगी करे जा रहे है कि कोई ज्ञानी हो ही न सके और भाव इतना सस्ता कि उनके हर एक नये भाषण मे नये- नये भाव जन्म लेने लगे। और मंत्री जी अपने भाषणों से आम जनता को भावुक किये जा रहे है।
इस तरह सभी जनता जल्द ही भगवान तक पहुंच जाएगी। यहीं है मंहगाई का मुख्य उद्देश्य।
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