संक्षिप्त कृष्णा (कविता )

जय श्रीकृष्ण 


कुछ दिनो पहले कोई आया था।
जम के धूम मचाया था।
माखन भी खूब चुराया था।
सब को नाच नचाया था।
                 कुछ दिनो पहले........
बाबा का था लल्ला प्यारा।
मइआ के आंखों का तारा।
बलदाऊ का छोटा भइआ
गइआ भी खूब चराया था।
                  कुछ दिनो पहले .........
गोपिकाओं संग रास रचाया।
फिर भी लाखो का मन भाया।
सब जाने वह परमब्रह्म है
सृष्टी वही बनाया था।
                 कुछ दिनो पहले.......
पता नहीं कितने असुरों को मारा।
संग अपने मामा को संहारा।
फिर छोड़ दिया मथुरा नगरी को
द्वारिका वहीं बनाया था।
                      कुछ दिनो पहले .........
हजारों विवाह कर डाला उसने।
एक मित्र भी बना डाला उसने।
125 वर्षों के बाद
पुनः ब्रम्ह मे सयाया था।
कुछ दिनो पहले कोई आया था।
जम के धूम मचाया था।

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