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देश के कल्याण मे हर युवा एक साथ हो।

देश के कल्याण मे हर युवा एक साथ हो। हर युवा मे देश के सम्मान की ही बात हो। देश के परिधान को कुछ गीदड़ो ने घेर लिया है। देश के इतिहास को कुछ लीडरों ने लील लिया है। वतन के चमन से ही सिसकिया क्यूं आ रही। है अगर सब साथ तो क्यों  आवाजें आ रही। हर युवा का काम है तलवार सब के हाथ हो। देश के कल्याण मे हर युवा एक साथ हो। श्वान को कीमा की आदत कभी जाती नहीं। मूर्खों के सामने इबादत काम आती नहीं। देश के यौवन है हम सब हमी से कुछ आश है। क्लींवता का इस धरा से हमीं से ही नाश है। देश के स्वाधिनता मे सदैव आगे माथ हो। देश के कल्याण मे हर युवा एक साथ हो। व्यर्थ मे मत गवाओ उन पुराने नाम को। सिंह साहब और शेखर जैसे पावन धाम को। उनके यौवन याद है न,हा! भूल कैसे पाओगे। मरते दम तक कह गए अरि अभी टकराओगे। उनकी संग रह न सके अब तो एक साथ हो। देश के कल्याण मे हर युवा एक साथ हो। मैने गर चाह लिया बरदाई गालिब मीर देगे। साथ सबका मिल गया जो शत्रु का सीना चीर देगे। शत्रु मे दम कहाँ पर्वत जवानी तोड़ती है। मृत्यु से डर कहाँ मयफांस जवानी मोड़ती है। हे जवानों आओ एक हाथ मे सब हाथ हो। देश के कल्या

दादी की बैक यात्रा

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दादी के बैंक खाते मे २००४ रूपये थे और जब ये बात दादी को पता चली तो उन्होंने कई बार अपने बेटे (यानी मेरे पिता जी) से बोली बेटा इन पैसों को चलो निकलवा दो नहीं तो सरकार काट लेगी। पिताजी ने उन्हें समझाया माताजी वो पैसा नहीं कटेगा उसे खाते मे ही रहने दो कभी किसी बुरी परिस्थिति मे काम आऐगे, किन्तु दादी कहा मानने वाली और जब मैं कर्मभूमि से अपने जन्मभूमि आया तो वही पैसा निकलवाने वाली बात दादी ने हमसे की और हमने कहा उसमें ५०० मेरे होगे। दादी शर्त मंजूर। हम तो बस ५०० के लालच मे चल दिया हमें क्या पता ये दादी बैंक कहानी इतनी हास्य और ज्ञान युक्त होगी, फिर हम दादी पोते सड़क पर जाकर आटो रिक्शे पर बैठ कर बैंक की ओर चल दिये।  कुछ मिनटों मे बैँक पहुँचते ही हास्य रस का उगदम होता है। वहा किसी की रखी चेक बुक उठाकर दादी बोली ले लाला ड्रावल भर दे और जब मैं उसे देखा की ये तो किसी चेक बुक है तो उसे मैं बैंक मैनेजर के पास रख कर वहीं पास के काउन्टर से ड्रावल लाया और जब ड्रावल के सारे कालम भर गए तो दादी को अंगूठा लगाने को बोला तो दादी जी बिल्कुल भड़क गई और हस्ताक्षर करने के चक्कर मे ६ ड्रावल नष्ट कर दी। जब