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Showing posts from October, 2018

सुधार दे

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ये खुदा अब तो हमें सुधार दे                     थोड़ा सा रहम उधार दे गलत भावना दूर कर दे गर्व को चकना चूर कर दे। थोड़ा सा लाड और प्यार दे ये खुदा अब तो हमें सुधार दे। प्यार मोहब्बत छूट जाए इस दुनिया से दिल टूट जाए बस इक कवि का ही श्रृंगार दे ये खुदा अब तो हमें सुधार दे। ये दुनिया अब कुछ खास नहीं है यहा तो सुख की सांस नहीं है इस दुख से हमें उद्धार दे ये खुदा अब तो हमें सुधार दे। मरने को नहीं बोल रहा हूँ अपने मन को खोल रहा हूँ तु यही मेरा संसार दे ये खुदा अब तो हमें सुधार दे। ऊब गया सत्ता धारी से मारे ये जिन्दा आरी से अब तो अपनी सरकार दे ये खुदा अब तो हमें सुधार दे। याद है मुझे वो तेरा शासन बचा नहीं वो दुष्ट दुशासन अब इनको भी संहार दे ये खुदा अब तो हमें सुधार दे। याद न करना मेरे द्वेष को क्षमा करना प्रिन्शु लोकेश को थोड़ा विनती तो स्वीकार ले ये खुदा अब तो हमें सुधार दे।

करवा चौथ गीत

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शदर पूर्णिमा बीती;आया करवा का त्योहार। ताक प्रेमिका चन्दा को;पडें ओस की फुहार। टुकुर टुकुर क्या झांके वो करगे नौ को पार। चौथ का चांद बनी कहावत मत मानो तुम हार। आया प्रेमी रे! आया प्रेमी रे!                           पूर्ण हुआ इन्तजार।१। देख के अपने प्यारे पति को;खाओ लड्डू यार। पूर्ण हुआ व्रत आपका;पूर्ण हुआ करवा त्योहार। जोड़ी आपकी अमर रहे;यह कहना मेरा व्यवहार। प्रिन्शु कहता रहे सदैव;अमर रहे करवा त्योहार। आया प्रेमी रे! आया प्रेमी रे!                           पूर्ण हुआ इन्तजार।२।

उत्तेजना

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हर गांव एवं हर एक शहर में आजकल उत्तेजना ही उत्तेजना है।उत्तेजना उस गांव एवं शहर की जनसंख्या पर निर्भर करती है।हर एक स्टेशन पर देखो हीजडो की अलग ही उत्तेजना देखने को मिलती है। शहर में उपस्थित क्लीवं पुरुष अपने उत्तेजना के कारण लात और घुसे के सिकार होते जा रहे है। कोई कोई उन्मादित होकर अपने आप जो ही सहंसाह समझते हैंऔर कस्तूरी मृग की भांति मग्न रहते है कहीं कहीं उत्तेजना सही मानी जाती है तो कहीं कहीं उसका गलत असर होता है।कुछ तो ऐसे होते हैं कि घर के काम को देख कर सिथिल हो जाते हैं, परन्तु जब वहीं व्यक्ति किसी लड़की या छात्रा को देखता है तो उसकी सीथिलता  स्थिर हो जाती है और वह उत्तेजित हो कर उसी की तरफ खिंचा चला जाता है जो की किसी के लिए लाभकारी नही है इसमें लोग चूहे की तरह उछल कूद करने लगते हैं। इसी प्रकार उत्तेजना उन्माद का भी कारण बन जाती है। "शेर के आगे और उत्तेजना के पीछे कभी मत भागो" उत्तेजना एक स्त्रीलिंग शब्द कहा जाता है और ये स्त्रियों के भांति होती है हर जगह अपना करतब दिखा जाती है।भक्ति भाव में उत्तेजना कही कही सही मानी जाती है और यदि समय संकुचित हो तो वहाँ उत्ते

सहयोग(एकांकी)

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सहयोग पात्र : मयूरी - प्रेमिका अभिनव - प्रेमी(अभि) सूरज- मयूरी और अभि का फ्रेंड(भाई) शीतल - मयूरी और अभि की फ्रेंड(बहन) ज्योति - मयूरी की बचपन की सहेली प्यार दुनिया का सबसे अलग और अच्छा एहसास है, जिसमें न खाने की भूख न ही आँखों में नींद।है तो बस प्रेमी का साथ और प्यार की भूख इस एहसास से तो हमारी कहानी के पात्र भी नही बच पाये।यह सुगम एहसास मयूरी और अभिनव को भी प्राप्त हुआ जो एक दूसरे की जान है ,वह शायद दुनिया में एक दूसरे के लिए ही आये हैं।अभिनव मयूरी और मयूरी अभिनव के दिल की धड़कन व सांसे हैं।अभि यानि अभिनव जो19 साल का नवजवान गोरा, लंबे कद व अच्छी सेहत, भरे गाल और काले घुंघराले बाल वाला लड़का था।जिसकी आँखों में मासूमियत व लोगों को आकर्षित करने वाली दिव्य चमक थी।उसके होठ मानो दिल की सच्चाई बयां कर रहे हो।इन  सब के बावजूद वह दिल का साफ और दोस्तों के जान हाजिर कर देने वाला लड़का था, उसके दिल में लड़कियों के स्नेह व सहायता का भाव उमड़ उमड़ कर भरा था।शायद यही सब आदतें मयूरी को भा गयी। वह अभि को अपनाने में मजबूर हो गई।इन दिनों के प्यार की शुरुआत सोशल साइट पर हुई, मयूरी को अभि ने फेस

ना मैं राजा बना, ना तु रानी बनी

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तर्ज कैसी लागी लगन ////////////////////////////// ना मैं राजा बना, ना तु रानी बनी ना मैं राजा बना, ना तु रानी बनी एक आधी अधूरी कहानी बनी। जमाना हंसता रहा, दिल ये फंसता रहा मैं दीवाना बना, तु दीवानी बनी। ना मैं राजा बना, ना तु रानी बनी एक आधी अधूरी कहानी बनी। ना हमने किया, ना तुमने किया ना हमने किया, ना तुमने किया शराफत फिर कैसे शैतानी बनी। न मिले हम कभी, न मिले तुम कभी न मिले हम कभी, न मिले तुम कभी चांदनी फिर कैसे रात रातरानी बनी। ना मैं राजा बना, ना तु रानी बनी एक आधी अधूरी कहानी बनी।