२९/०९/२०१७ की सुबह जैसे उठा सुबह सुबह जन्नत सी मिल गई। अंगना मे आ के देखा मम्मी जी दिख गई।१। फिर चल दिया टहलने को, बगिया भी खिल गई। चारो मे ओस की बूदो को जब देखा, ऐसे लगा जैसे मोती ही मिल गई।२। फिर घर से दूर जा बैठे एक शिला पर, वही एक झुरमुट मे तितलियां भी दिख गई। कुछ देर तक देखता रहा उन्हें, कुछ ही देर मे सारी तितलियां भी उड़ गई।३। फिर कुछ देर मे घर को चल दिया, रास्ते मे देखा की कुछ मोती भी झड़ गई। पहुँच गया एक नदी तट पर, वहाँ भी कुछ मछलियाँ नजर लग गई।४। झुक धुलने लगा जब हाथ - पैर, सूर्य की किरणें भी दिख गई। सूर्य की करणों को देखकर, वहाँ वशुधा तो दुलहन सी सज गई।५। फिर आगया मैं घर पर, फिर से जन्नत मिल गई। क्योंकि घर के अंगना पर , मेरी मम्मी जो दिख गई।६।
Posts
Showing posts from September, 2018
आधुनिकता मे खोता बचपन
- Get link
- X
- Other Apps
*आधुनिकता मे खोता बचपन* हम भूल गए उस बचपन को जब कागज की नाव बनाते थे। बारिश के मौसम में हम सब अपनी नाव बहाते थे ।१। अब लिए मोबाइल गलियों में पागल की भांति फिरते हैं । आधुनिकता के गड्ढे में अब ठोकर खा के गिरते हैं ।२। हम भूल गए उस बचपन को जब मिल के रोटी खाते थे। स्कूलों में मैडम जी को अच्छे अच्छे गीत सुनाते थे।३। नए जमाने में हम सब अब मैगी इटली खाते है। लिए मोबाइल जेबों मे बस हनी सिंह ही गाते हैं।४। बचपन में हम लोगों की होती छोटी कश्ती थी। देख हमारे इन कर्मों को मेरी मम्मी हँसती थी।५। नये जमाने के चक्कर मे डूब गई वो मेरी कश्ती। व्हॉट्सएप के चुटकुलों में अब तो पूरी दुनिया हंसती।६। बचपन में वो मेरी मम्मी हमको प्रिन्शु लल्ला कहती थी। प्यार भरी थोड़ी बातों में फिर दोनों की आँखें बहती थी।७। नए जमाने के कारण अब लोकेश बना अब फिरता हूँ। उसी प्यार की बोली में अब फट से जबाब दे देता हूँ।८। बचपन की एक बात निराली मित्र होते सब पक्के। लड़के हो या लड़कि हो होते थे दिल के सच्चे।९। आज-काल के परिवेशों में मित्र कहाँ वो मित्र रहे। न ही उनमें प्रेम भाव है ...
हनुमानजी की भजन
- Get link
- X
- Other Apps
*हनुमानजी की भजन* *हनुमानजी की बंदना* लोग कहते तेरी पूजा होवे२ केवल मंगलवार। हमारे लिये हर दिन मंगलवार। लोग कहते तोही शेदुर चढ़ता२ केवल मंगलवार। हमारे लिये हर दिन मंगलवार।१। तू ही मेरा करता धरता। तेरी पूजा आरति करता। बस यही मेरा कारोबार। हमारे लिये हर दिन मंगलवार।२। पवन पुत्र अंजनि के नंदन। तेरा प्रभु करता हूँ वंदन। तु ही मेरी सरकार । हमारे लिये हर दिन मंगलवार।३। *हनुमानजी की महिमा* रामचंन्द्र जब जनम लियो है। मिलने की इच्छा प्रगट कियो है। आप पहुँचे दशरथ द्वार। हमारे लिये हर दिन मंगलवार।४। असुर कहे तम्हें छोटा बंदर। मारा उनको घुस के अंदर। धरे देह विकराल। हमारे लिये हर दिन मंगलवार।५। महाबली हो महा हो ज्...
दगा देती है लडकिया
- Get link
- X
- Other Apps
दगा देती है लडकिया बेवफा से वफा न करना, उसके झूठे प्यार मे न पड़ना। वो तुम्हे बर्बाद कर डालेगी, बेवफा से कभी प्यार न करना।१। लड़की होती है धोखेबाज़, उन्हें रूह पर रहता नाज। अपने को कहती भोली भाली, आलू के साथ चुरा लाती है प्याज़।२। ये नहीं होती कभी भली, पैसा मांगे हमसे गली-गली। न दो अगर इन्हें फूटी कौड़ी, हमको कहती रोज बुरी भली।३। रूह सवारे चलती फिरती, ले स्कूटी गन्दे नाले पे गिरती। गन्दे नाले से जो उठाओ इन्ह...
संक्षिप्त कृष्णा (कविता )
- Get link
- X
- Other Apps
जय श्रीकृष्ण कुछ दिनो पहले कोई आया था। जम के धूम मचाया था। माखन भी खूब चुराया था। सब को नाच नचाया था। कुछ दिनो पहले........ बाबा का था लल्ला प्यारा। मइआ के आंखों का तारा। बलदाऊ का छोटा भइआ गइआ भी खूब चराया था। कुछ दिनो पहले ......... गोपिकाओं संग रास रचाया। फिर भी लाखो का मन भाया। सब जाने वह परमब्रह्म है सृष्टी वही बनाया था। कुछ दिनो पहले....... पता नहीं कितने असुरों को मारा। संग अपने मामा को संहारा। फिर छोड़ दिया मथुरा नगरी को द्वारिका वहीं बनाया था। कुछ दिनो पहले ......... हजारों विवाह कर डाला उसने। एक मित्र भी बना डाला उसने। 125 वर्षों के बाद पुनः ब्रम्ह मे सयाया था। कुछ दिनो पहले कोई आया था। जम के धूम मचाया था।
श्रीकृष्ण जन्म(घनाक्षरी)
- Get link
- X
- Other Apps
जय श्रीकृष्ण महि माही खेल काही जन्म लिओ श्रीकृष्ण बुधवार अष्टमी को जेल मे ही आयो है। लइ वशुदेव ओको चलि दियो गोकुला को बीच माही यमुना भी उधम मचायो है। कृष्ण ने भी जोर लात मारी यमुना को वशुदेवजी के चरनो मे यमुना लोटायो है। नंदद्वार पहुच गयो अब वशुदेव जी सीधे नंदजी के महल के अंदर सकायो है। यशुमति लगे धरि अपने लल्ला को लाली यशुमति की गोद मे उठायो है। लाला धरि लाली को लिए वशुदेवजी मथुरा की ओर तुरत भगायो है। बन गए कृष्णचन्द्र नंद के नंदन महराजकंश झूर घंटा बजायो है।